अमन लेखनी समाचारमोहनलाल गंज
यदि नवजात के पैर टेढ़े और कमजोर लगते हैं। नवजात को खड़े होने और चलने में दिक्कत के साथ पेशाब नही रुकती है। ऐसे लक्षण प्रतीत होने पर फौरन न्यूरो सर्जन से संपर्क करें। यह स्पाइनल डिस्रेफिज्म बीमारी के लक्षण हैं। इसमें बच्चों की रीढ़ की हड्डी में फोड़ा हो जाता है। जिसकी वजह से यह दिक्कतें होती हैं। यह जानकारी पीजीआई में रविवार को न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने रविवार को द्वारा संस्थान में आयोजित तीसरे डॉ. डीके छाबड़ा और डॉ. वीके जैन ओरेशन कार्यक्रम में दी। उन्होंने कहा कि यह जन्मजात बीमारी है। जल्द ऑपरेशन कर बीमारी पर काफी हद तक काबू में किया जा सकता है। स्व. डॉ. छाबड़ा और डॉ. जैन ने पीजीआई में न्यूरो सर्जरी विभाग की स्थापना की थी।
ज़ूम की मदद से आयोजित कार्यक्रम में कनाडा के डॉ. पॉल ने कहा कि रीढ़ की हड्डी में फोड़ा होने की स्थिति में नस (स्पाइनल कॉर्ड) के निचले हिस्से को काटकर मुक्त कर देते हैं। जिससे बच्चों में सुधार होने लगता है। अमेरिका के डॉ. शामेर के. एलबाबा ने कहा कि दूरबीन विधि द्वारा इस जन्मजात बीमारी का उपचार गर्भ में सम्भव है। इसके अलावा फ़्रांस के डॉ. जेरा ने कहा कि नवीन तकनीक माइक्रो रोबोट की मदद से दिमाग में जीन थेरेपी दी जाती है। जिसकी मदद से पार्किंसन समेत अन्य बीमारियों के होने की आशंका लगभग खत्म हो जाती है। कार्यक्रम के आयोजक सचिव डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव और वेद प्रकाश मौर्य की अगुवाई में कई देशों के न्यूरो सर्जन के बीच आयोजित फोटोग्राफी प्रतियोगिता में 10 अव्वल प्रतिभागियों को संमानित किया गया।