लखनऊ। गुरुवार को एसटीएफ ने इंसानी जानो से खिलवाड़ कर अवैध रूप से मिलावटी खून का कारोबार करने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है। बताया जा रहा है की इन लोगो द्वारा राजस्थान राज्य के विभिन्न जनपदों से मानव रक्त (पीआरबीसी) को फ़र्ज़ी दस्तावेज के माध्यम से तस्करी कर लखनऊ लाया जाता था जिसमे अवैध रूप से मिलावट कर लखनऊ व आस-पास के जनपदों में विभिन्न हास्पिटल, ब्लड बैंक आदि में धोखा-धड़ी कर इस खून को बेचा जाता था। गुरुवार को एसटीएफ व स्वास्थ्य विभाग के टीम ने संयुक्त रूप से करवाई करते हुए रैकेट का पर्दाफाश किया और सरगना सहित 7 सदस्यों को 302 यूनिट ब्लड बैग सहित गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किये गए अभियुक्तों में चैपटिया, तोप दरवाजा निवासी असद व पकरी टोला जनपद कुशीनगनर निवासी नौशाद अहमद, उन्नाव निवासी रोहित, फैजुल्लागंज मड़ियांव निवासी करन मिश्र, कल्याणपुर गुडम्बा निवासी संदीप कुमार,
बाजारखाला कोतवाली भदेवा निवासी मो. अम्मार जो कि मिडलाइफ ब्लड बैंक एवं अस्पताल का मालिक है। इसके अलावा इन्द्रलोक कालोनी, कृष्णानगर निवासी अजीत दुबे जो कि नारायणी ब्लड बैंक का मालिक है शामिल हैँ। एसटीएफ टीम ने इनके पास से 302 यूनिट रेड ब्लड बैग, मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड, क्रेडिट कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड, डीएल, स्विफ्ट डिजायर व होण्डा डब्लूआरवी कार, और फ़र्ज़ी दस्तावेज़ व हज़ारो की नगदी आदि बरामद किया है। दरअसल 26 अक्टूबर 2018 एवं 16 सितंबर 2021 को एसटीएफ उत्तर प्रदेश द्वारा अवैध तरीके से इंसानी खून निकाल कर उसको सेलाइन वाटर की मिलावट से दुगना कर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर असुरक्षित ब्लड एवं कूट रचित दस्तावेजों सहित अभियुक्तो को गिरफ्तार किया गया था तभी से एसटीएफ टीम द्वारा ब्लड बैंक के सदस्यों पर सतर्क निगाह रखी जा रही थी। एसटीएफ टीम को जानकारी प्राप्त हुई कि जनपद लखनऊ के रहने वाले कुछ लोगों द्वारा संगठित तरीके से बडे़ पैमाने पर गैर प्रातों से ब्लड तस्करी कर लाया जाता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित है। इस प्रकार की तस्करी कूटरचित प्रपत्रों के आधार पर जरुरत मंदो व एजेंटो के माध्यम से लखनऊ व आस पास के जनपदो के ब्लड बैंको तथा हास्पिटलों में सप्लाई किया जाता है। 29 जून 2022 को टीम को सूचना मिली की बडे़ पैमाने पर ब्लड तस्करी करके राजस्थान राज्य से लाकर जनपद लखनऊ स्थित विभिन्न ब्लड बैंको व हास्पिटलो में सप्लाई किया जाना है। इस सूचना पर उपनिरीक्षक संतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में कवीन्द्र साहनी, चन्द्र प्रकाश मिश्र, मो. जावेद आलम, बरनाम सिंह, आरक्षी मुनेन्द्र सिंह, कमाण्डो रमाशंकर यादव
स्थानीय ड्रग विभाग के सहायक (आयुक्त) औषधि मनोज कुमार व (औषधि) निरीक्षक माधुरी सिंह के साथ मुखबिर के बताये स्थान ठाकुरगंज स्थित मिड लाइफ ब्लड बैंक पहुँचे। कुछ ही देर में स्वीफ्ट डिजायर कार नं. यूपी 32 के.बी. 7110 आकर ब्लड बैंक के पास रूकी। मुखबिर ने इशारा कर बताया कि इस गाड़ी में तस्करी कर लाया गया ब्लड है इस पर औषधि विभाग के अधिकारियो के साथ पुलिस की टीम उक्त कार में आये व्यक्तियों के क्रिया-कलापों की निगरानी करने लगी तो मिड लाइफ ब्लड बैंक से दो व्यक्ति निकल कर आये और उस कार से 2 बाक्स निकाल कर कार से आये दोनों व्यक्तियो के साथ ब्लड बैंक के अन्दर चले गये। इस पर टीम के सभी सदस्यो द्वारा घेराबन्दी कर दबिश देकर उन चारों व्यक्तियों को अभिरक्षा में ले लिया गया। टीम द्वारा ली गयी तलाशी से ब्लड बैंक के अन्दर लाये गये दोनों गत्तों में ब्लड बैग भरे हुए थे जिसमें मि़त्रा कम्पनी का स्टिकर लगा था परन्तु डोनर का नाम कलेक्शन करने वाले का नाम, एक्सपाइरी डेट आदि अंकित नहीं थी । गत्तों में भरे हुए ब्लड बैगों के लिए आवश्यक तापमान की भी व्यवस्था नही थी। औषधि विभाग के अधिकारियों द्वारा सुक्ष्म निरीक्षण कर बताया गया कि ब्लड बैग गत्तों में बे-तरतीब ढंग से ठूसे हुए है, जिनमें कोल्ड चेन भी मेन्टेन नही है और न ही ब्लड बैग के उपर किसी ब्लड बैंक का लेबल लगा है। जिससे स्पष्ट है कि यह अवैध रूप से तस्करी कर लाया गया अवैध ब्लड है। पूछे जाने पर अभियुक्तों ने कूटरचित प्रपत्रों के आधार पर राजस्थान से ब्लड लाये जाने की बात बतायी। पकड़े गये नौशाद और असद की निशादेही पर उनकी डिजायर कार से एक कार्टून का गत्ता बरामद हुआ जिसके बारे में पूछने पर बताया कि इस मानव ब्लड बैंक में सप्लाई करना है तथा आज ही कुछ देर पहले नारायणी ब्लड बैंक में 2 कार्टून ब्लड बैग देकर आये है। नौशाद आदि की निशादेही पर नारायणी ब्लड बैंक कृष्णानगर लखनऊ में छापेमारी कर बताये गये उक्त ब्लड बैग से भरे हुए दोनों कार्टूनों की बरामदगी कर ब्लड बैंक के मालिक अजीत दूबे व मौजूद टेक्निशियन संदीप कुमार को अभिरक्षा में ले लिया गया। अभियुक्तों के विरूद्ध थाना ठाकुरगंज, मेें मु.अ.सं. 326/2022 धारा419/420/467/468/471/274/275 भादवि एवं औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधि. 1940 की धारा 18ए/27 का अभियोग पंजीकृत कर आगे की कार्यवाही स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही है।