स्‍वयं सहायता समूहों ने दिखाई स्‍वावलंबन की राह

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अमन लेखनी समाचार/लखनऊ
लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड 19 के दौरान योगी सरकार ने जिस तरह श्रमिकों और दूसरे राज्‍यों से लौटे लोगों को सहायता प्रदान की है वो देश में एक मिसाल साबित हुई है। ऐसे में स्‍वयं सहायता समूहों को सरकार की ओर से सहारा मिलना भी आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। प्रदेश में चार लाख से अधिक स्‍वयं सहायता समूहों के जरिए लाखों महिलाओं को रोजगार मुहैया कराकर 45 लाख से अधिक परिवारों का वित्तिय और सामाजिक समावेश किया गया है।

पिछले दिनों मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था को सुदृढ़ करने और उत्‍तर प्रदेश राज्‍य ग्रामीण आजीविका मिशन को प्रोत्‍साहित करते हुए एक बड़ा कदम उठाते हुए इस मिशन के तहत 97663 स्‍वयं सहायता समूहों और उनके संगठनों को 445.92 करोड़ रुपए की पूंजीकरण धनराशि का ऑनलाइन हस्‍तान्‍तरण किया गया। इस राशि से प्रदेश की स्‍वयं सहायता समूहों से जुड़ी लाखों महिलाओं और उनके परिवारों को सीधे तौर पर लाभान्वित हुई हैं। प्रदेश में दस लाख सेल्‍फ हेल्प ग्रुप बनाकर एक करोड़ महिलाओं को जोड़ा जा रहा है।

शासन की योजनाओं से जुड़ रही महिलाएं

स्‍वयं सहायता समूहों को शासन की योजनाओं से प्राथमकिता पर जोड़ा जा रहा है। इसका ही परिणाम है कि कोरोना काल के दौरान लगभग 67 हजार समूह सदस्‍यों की ओर से 1 करोड़ 28 हजार स्‍कूल ड्रेस का निर्माण किया गया है। जिससे 100 करोड़ रुपए से अधिक की आमदनी हासिल हुई है। वर्तमान में महिला स्‍वयं सहायता समूहों द्वारा 1141 उचित दर की दुकानों का संचालन किया जा रहा है। तो वहीं 52981 आंगनबाड़ी केन्‍द्रों में इन्‍ही समूहों द्वारा सूखे राशन का वितरण भी किया जा रहा है।

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