कंटीजेंसी के नाम पर सरकारी पैसों से अधिकारी भर रहे जेब

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चित्रकूट। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नमसा योजना से सरकार के द्वारा किसानों की आय दोगुना करने के उद्देश्य से बनाया गया था जिसमे अनुदान के रूप में 1 लाख तक सरकार किसानों के देती है ताकि किसान समृद्ध हो सके,लेकिन विभागीय अधिकारी किसानों को समृद्ध नही देखना चाहते क्योकि नमसा जैसी योजनाओं पर विभागीय अधिकारियों /कर्मचारियों एवं दलालो के द्वारा मिलकर किसानों को बरगलाकर पूरी योजना को भ्रस्टाचार रूपी बलि दे दी गयी। कागजी कोरम तो पूरा कर लिया गया लेकिन धरातल पर काम शून्य है। नमसा योजना में केंद्र सरकार के द्वारा 60% व राज्य सरकार के द्वारा 40% अनुमानित लागत दी जाती है ताकि किसानों को समृद्ध बनाया जा सके ,लेकिन किसान तो समृद्ध नही हो पा रहे बल्कि इससे संबंधित अधिकारी/कर्मचारी व दलाल समृद्ध जरूर हो रहे हैं।

हम बात कर रहे है नमसा योजना के तहत चयनित गांवो का जहां पर नमसा योजना में चयन होने के बाद किसानों को प्रशिक्षण देने का प्राविधान है ,जिसमे मद 83 के अंतर्गत अनुसूचित जाति के किसानों को अलग से खुली मीटिंग कर प्रशिक्षण देना चाहिए,वही मद11 के अंतर्गत जनरल व ओबीसी किसानों को खुली मीटिंग के साथ प्रशिक्षण देने का प्राविधान है लेकिन 2016-2021 तक मात्र कुछ गांवो में एक मीटिंग कर सभी को प्रशिक्षण करा दिया गया है,लेकिन प्रशिक्षण के नाम पर आए पैसों का कागजी कोरम पूरा करके रफा दफा कर दिया गया है। ये हम नही कह रहे बल्कि विश्वसनीय सूत्रों से यह जानकारी निकल कर आ रही है,जिनका मानना है, यदि जांच कराई जाए तो घोटाला लाखो में हो सकता है।

कंटीजेंसी के नाम पर अधिकारी भर रहे जेब
विश्वसनीय सूत्रों की माने तो भूमि संरक्षण विभाग के तीनों इकाइयों में कंटीजेंसी के नाम पर 10 से 15 लाख रुपये का खर्च दिखकार सरकारी पैसों से अधिकारी जेब भर रहे हैं। तो क्या प्रतिवर्ष कुर्सी मेज,कूलर,पंखा आदि की खरीदारी होती होगी या रिपेयर भी कराये जाते होंगे, ये अलग बात है। लेकिन आपको बता दे इन सबका पैसा सरकारी बजट से निकालकर ठिकाने लगाया जा रहा है।
और तो और सरकारी गाड़ी की रिपेयरिंग हर साल कागजो में हो रही है और फर्राटे भी भर रही है लेकिन सरकारी गाड़ी को देखा जाए तो धूल फांक रही है, उसी धूल फांक रही सरकारी गाड़ी के नाम से प्रतिदिन हजारों रुपये की डीजल खड़े-खड़े पी रही है,जो सरकारी बजट पर भार बढ़ रहा है।ऐसे बहुत से अनसुलझे सवाल हैं जो भूमि संरक्षण विभाग पर उठना लाजमी है।

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