अमन लेखनी समाचार लखनऊ-अभिषेक विक्रम
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि किसान आंदोलन को 100 दिन हो गए है। किसानों की घोषणा है कि यह ‘संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक तीन काले कृषि कानून वापस नहीं होते। इस लड़ाई से भारत की मिट्टी का भविष्य जुड़ा है। किसान की मेहनत से ही लोगों को खाना मिलता है, जीवन चलता है। भाजपा सरकार ने अपने आंख-कान बंदकर रखे हैं। वे अन्नदाता की परेशानी नहीं देख पा रहे है।
देश ने कोरोना की वैश्विक महामारी देखी है। लोग घरों में कैद हो गए। कारोबार ठप्प हो गए। तब किसान ही खेत पर काम करने निकला था। उससे देश बच गया। किसान ने देश का सम्मान बचा लिया। यही किसान जब दिल्ली अपनी बात पहुंचाने जा रहे थे तब उनको अपमानित किया गया।
देश की अर्थव्यवस्था की हालत पतली है। भाजपा के लोग खेती नहीं करते हैं। किसान का धान 900 से 1100 सौ रूपये में लूट लिया गया। मक्का और आलू कैसे खरीदा जाएगा? एमएसपी कहां मिल रही है? एक समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी व्यापार करने आई थी, वही सरकार बन गई, हम उसके गुलाम बन गए। भाजपा सरकार कम्पनी सरकार चलाएगी। काले कानूनों से किसान की खेती छिन जाएगी। उसको न्याय भी नहीं मिलेगा। उद्योगपतियों की मनमानी चलेगी।
भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार कई रूप में जनता को दिख रहा है। पुलिस और तहसील के भ्रष्टाचार से आम जनमानस त्रस्त है। कोरोना काल से उपजे आर्थिक संकट की मार से जनता की कमर टूट गई है। डीजल-पेट्रोल के दाम बेलगाम है। रसोई गैस की बढ़ी कीमतों ने लोगों का बजट खराब कर दिया है। नौजवानों के सामने रोजगार का संकट बना हुआ हैं।
भाजपा सरकार ने युवाओं को मोबाईल में उलझा दिया हैं। सरकार की दोषपूर्ण नीतियों से नयी पीढ़ी का भविष्य असुरक्षित हो गया है। कृषि कानून खतरनाक कदम है। बिना खेती के कोई विश्वगुरू नहीं बन सकता। केन्द्र की भाजपा सरकार को यह जान लेना चाहिए कि किसानों का उत्पीड़न कर कोई सत्ता में नहीं टिक सकता। जनता परिवर्तन के लिए बस सन् 2022 के विधानसभा चुनावों का इंतजार बेसब्री से कर रही है। सबकी निगाहें समाजवादी पार्टी पर लगी हैं।