बहराइच।क्षेत्र के किसान गेँहू की फसल की मड़ाई करने के लिए कम्बाइन मशीन का प्रयोग कर रहे हैं कम्बाइन मशीन के प्रयोग से कुछ ही समय में गेंहू तो मिल जाता हैं लेकिन पशुओं का चारा भूसा नही मिल पाता किसानों को पूरी तरह समृद्ध करने के लिए रबी की फसलों के तैयार होने पर उनकी मड़ाई के समय मौसम की मार न पड़ जाए इसकी होड़ में किसान आधुनिक मशीनों का उपयोग कर मड़ाई तो समय से करते हैं परन्तु बोई फसलों का पूरा लाभ नही ले पाते। वरिष्ठ समाजसेवी व प्रगतिशील किसान व सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. राधेश्याम श्रीवास्तव एडवोकेट बताते हैं कि किसानों द्वारा अपनी फसल की मड़ाई समय बचाने के लिए कम्बाइन से कराई जाती हैं लेकिन कम्बाइन के प्रयोग से गेँहू की मड़ाई के बाद जो डंठल खेतो में रह जाते है उसे किसानों को जलाना बिल्कुल भी नही चाहिए क्योकि डंठलो में आग लगने से मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीव व कार्बनिक पदार्थ भी नष्ट हो जाते है जिससे मृदा उर्वरता भी नष्ट होती है और डंठल को जलाने का नियम भी नही है उन्होंने यह भी बताया कि डंठल को खेत में जलाने के बजाय पानी खेतों में भर देना चाहिए आठ-दस दिन सड़ जाने के बाद उसकी मिट्टी को रोटावेटर से जुताई कर देनी चाहिए जिससे खेत की उर्वरता बढ़ जायेगी ।इस सम्बंध में वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि गेंहू के भूसे से ही पशुओं के चारे की उपलब्धता बरकरार रहती हैं लेकिन किसान गेँहू के मड़ाई के समय पशुओं के चारे को नजरअंदाज कर मड़ाई करवा लेते हैं इससे किसानों के सामने पशुओं के चारे की समस्या खड़ी हो जाती है और गेँहू का भूसा किसान खरीदने की मजबूर हो जाते है पशुओं का चारा सबसे सन्तुलित आहार भूसा की कीमत लगभग गेँहू के बराबर पहुँच जाती हैं किसानों को कम्बाइन के प्रयोग से भूसे की समस्या पैदा हो जाती हैं इसलिए चारा की समस्या किसानों के सामने उत्पन्न हो जाती हैं।