षण पाठशाला से जुड़े गोरखपुर के 60000 लाभार्थी वेब लिंक के जरिये हुआ पोषण पाठशाला का आयोजन

शीघ्र स्तनपान-केवल स्तनपान’’ का संदेश दिया गया

अमन लेखनी समाचार

गोरखपुर। राज्य स्तर से वृहस्पतिवार को आयोजित वर्चुअल पोषण पाठशाला से बाल विकास सेवाएवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) के प्रयासों से गोरखपुर जिले से 60 हजार प्रतिभागी वेब लिंक के जरिये जुड़े इस वर्चुअल आयोजन के जरिये ’’शीघ्र स्तनपान-केवल स्तनपान’’ का संदेश दिया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह ने बताया कि इस आयोजन से विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी,सीडीपीओ, मुख्य सेविका, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, गर्भवती, धात्री और उनके अभिभावकों को जोड़ा गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि पोषण पाठशाला के माध्यम से बताया गया कि मां का दूध शिशु के लिए अमृत के समान है। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए यह आवश्यक है कि जन्म के एक घंटे के अन्दर शिशु को स्तनपान प्रारम्भ करा देना चाहिए और छह माह की आयु तक उसे केवल स्तनपान कराना चाहिए। हालाँकि समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण केवल स्तनपान सुनिश्चित नही हो पाता है। मां एवं परिवार को लगता है कि स्तनपान शिशु के लिए पर्याप्त नही है और वह शिशु को अन्य चीजें जैसे कि घुट्टी, शर्बत, शहद, पानी, पिला देती हैं जबकि स्तनपान से ही शिशु की पानी व अन्य आवश्यकता पूरी हो जाती है। इसलिए शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान की अवधारणा को जन-जन तक पहुंचाना है। वयस्कों की तरह बच्चे की भी पानी की आवश्यकता होगी, इसी सोच के चलते बच्चों को पानी देने का प्रचलन बढ जाता है और शिशुओं में केवल स्तनपान सुनिश्चित नही हो पाता है | इसकेसाथ ही शिशु में दूषित पानी के सेवन से संक्रमण से दस्त आदि होने की भी सम्भावना बढ जाती है।

सर्वे का हवाला देकर दी जानकारी।

पाठशाला के प्रतिभागी और शहरी बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि विशेषज्ञों द्वारा यह भी जानकारी दी गयी कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-05) के अनुसार उत्तर प्रदेश में शीघ्र स्तनपान (जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात शिशु को स्तनपान) की दर 23.9 प्रतिशत है और छह माह तक शिशुओं में ’’केवल स्तनपान’’ की दर 59.7 प्रतिशत है। शिशुओं में शीघ्र स्तनपान व केवल स्तनपान, उनके जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है, परन्तु ज्ञान के अभाव और समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण यह सुनिश्चित नही हो पाता है, जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होता है। इसके लिए माह मई व जून में प्रदेश में नो वाटर, ओनली ब्रेस्टफीडिंग कैंपेन (पानी नहीं, केवल स्तनपान ) चलाया जा रहा है।

इन लोगों ने दी जानकारी

डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लखनऊ के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मनीष कुमार सिंह, वीरांगना अवंती बाई अस्पताल लखनऊ के वरिष्ठ सलाहकार (बाल रोग) डॉ मो. सलमान खान और आईएचएटी यूपीटीएसयू लखनऊ की नवजात व बाल स्वास्थ्य की निदेशक डॉ रेनू श्रीवास्तव ने लाभार्थियों को विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी।

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